अभिनेता सोनू सूद को पसंद आया झारखंड के शिक्षक डॉ सपन कुमार का पढ़ाने का तरीका, अभिनेता सोनू सूद ने मदद के लिए बढ़ाया हाथ, शिक्षक सपन ने किया मदद लेने से इंकार, कहा- शिक्षा के क्षेत्र में मिलकर करेंगे काम, अब डॉ सपन सीमेंट वाले बिजली खम्बे के जरिए बच्चों को दे रहे हैं अक्षर, वर्णमाला तथा संख्या का ज्ञान।
SNS 24 News संवाददाता, दुमका
झारखंड प्रदेश अन्तर्गत दुमका जिला के सुदूर आदिवासी बहुल क्षेत्र स्थित जरमुंडी प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय डुमरथर के राष्ट्रीय , अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि पा चुके शिक्षक डॉ सपन पत्रलेख के पढ़ाने के नए आइडिया की मुंबई के मशहूर अभिनेता सोनू सूद ने प्रशंसा की है| उन्होंने इस कार्य में मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। अभिनेता सोनू सूद ने डॉ सपन के पढ़ाने के नए तरीके बिजली खंभा से अक्षर ज्ञान के वीडियो को मीडिया में देखकर सोशल मीडिया के माध्यम से बधाई दी है।
सोनू सूद की बधाई एवं मदद के लिए हाथ आगे बढ़ने पर आदिवासी गांव एवं डुमरथर विद्यालय के विद्यार्थियों में काफी उत्साह का माहौल है। अभिनेता सोनू सूद ने बधाई देते हुए कहा है कि सपन भाई को बधाई,वे मदद करना चाहते है ” इस संबंध में डॉ सपन ने कहा कि उनके लिए गर्व की बात है कि उनके पढ़ाने के तरीके को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर लगातार बेहतर कार्य करने वाले देश के रियल हीरो सोनू सूद ने उन्हें बधाई दी है ।एक दुर्गम आदिवासी क्षेत्र में उनके पढ़ाने के तरीके को उन्होंने पसंद किया है इससे वे काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे है। उन्होंने कहा कि डुमरथर विद्यालय के पोषक क्षेत्र में आंगनबाड़ी केंद्र या प्ले स्कूल नहीं है जिस कारण सरकारी प्रावधान के अनुसार 6 वर्ष पूर्ण होने के बाद ही बच्चों का नामांकन विद्यालय में होता है| 6 वर्ष के पूर्व तक बच्चे घर गांव में रहते हैं|आंगनबाड़ी केंद्र नहीं रहने के कारण बच्चे अक्षर,वर्णमाला संख्या ज्ञान से वंचित रहते हैं।इसको ध्यान में रखकर के सीमेंट के बिजली खंभों पर हिंदी,संथाली,अंग्रेजी एवं गणित के संख्याओं को लिखा गया है। जिनकी उम्र 6 वर्ष से नीचे है वह अपने बड़े भाई बहनों के साथ जब गलियों में अपने घर के बाहर आते जाते हैं तो उनकी नजर बिजली खंभों पर पड़ती है जिसे देखकर बच्चे सीखते हैं।
यह काफी सुरक्षित है, क्योंकि इसमें बच्चे बिजली खंभा को देखकर पढ़ने के शिक्षा शास्त्र का उपयोग करते हैं। राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति के अनुसार निपुण भारत मिशन के तहत अक्षर एवं संख्या ज्ञान आना आवश्यक है। इस पढ़ने के तरीके का वीडियो मीडिया में देखने के बाद अभिनेता सोनू सूद ने बधाई दी है और मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। इस पर डॉ सपन पत्रलेख ने कहा कि उन्हें सोनू सूद से किसी भी प्रकार की मदद रुपए,पैसा या वस्तु की आवश्यकता नहीं है,क्योंकि किसी भी प्रकार की मदद निश्चित तौर पर एक दिन समाप्त हो जाती है। यदि मदद करनी है तो वह शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग कर सकते है|उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सोनू सूद के साथ मिलकर काम करने की बात कही।
झारखंड प्रदेश के कई गांवों में इस तरह की समस्या है जहां आंगनबाड़ी केंद्र या प्ले स्कूल नहीं रहने के कारण बच्चे पढ़ाई से वंचित रहते हैं, वैसे बच्चे जो 6 साल के बाद स्कूल जाते हैं उसके लिए यह बिजली खंभों में लिखा ज्ञान काफी मदद करता है।डॉ सपन ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय से कहा है कि देश के सभी गांवों में जहां आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है वहां नए बिजली खंभे का जब अधिष्ठापन किया जाए तो उन बिजली खंभों में स्थानीय स्तर पर बोलचाल वाली मातृभाषा में अक्षरों,संख्याओं व वर्णमाला को लिखा जाए,जिससे बच्चे देखकर इस तकनीक से काफी कुछ सीख सकें। उन्होंने सोनू सूद के बारे में कहा कि सोनू सर सिर्फ रील हीरो नहीं रियल हीरो है,उन्होंने लगातार कोरोना कल में भी काफी कार्य किए हैं| कई लोगों को चिकित्सा एवं अन्य क्षेत्रों में लगातार मदद कर रहे हैं|
अब जरूरत है भारत देश को आगे ले जाने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग की|क्योंकि गरीबी को समाप्त करने का सबसे बड़ा हथियार शिक्षा है। सोनू सूद के साथ डॉ सपन ने शिक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम करने की बात कही है। डुमरथर विद्यालय के विद्यार्थियों एवं ग्रामीणों में भी काफी प्रसन्नता है। सोनू सूद की बधाई एवं मदद की अपील के बाद समुदाय एवं विद्यार्थियों के साथ डॉ सपन पत्रलेख ने एक बैठक कर सबों को इसकी जानकारी दी और सबों ने एक साथ मिलकर निर्णय लिया कि सोनू सूद से किसी प्रकार की मदद नहीं लेनी है|मदद के जगह पर उन्हें डुमरथर गांव में आमंत्रित किया है तथा शिक्षा के क्षेत्र में सपन सर के साथ कार्य करने में सहयोग करने की अपील की है। विदित हो कि डॉ सपन पत्रलेख के पढ़ाने का अनोखा आइडिया ब्लैकबोर्ड मॉडल एवं व्यस्क शिक्षा कार्यक्रम ने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।