गरीबों को न्याय देने में केन्द्र व राज्य दोनों सरकारें असफल – पीड़िता

आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है गरीब व असहाय जनता, सदर प्रखंड दुमका के पारसिमला पंचायत अंतर्गत पाल टोला की विधवा महिला पूर्णिमा आज भी टूटी-फूटी व जर्जर झोंपड़ी में रहने को विवश, एक अदद पीएम आवास के लिए पांच वर्षों से पंचायत मुख्यालय का चक्कर काटकर थक चुकी है गरीब व विधवा।

रानीश्वर (दुमका) : इसी महीने के 15 अगस्त को हमलोगों ने 77 वां स्वतंत्रता दिवस मनाया है। आजादी के सात दशक एवं झारखंड राज्य निर्माण के दो दशक से ज्यादा बीतने के बावजूद गरीब असहाय लोगों को बुनियादी सुविधाएं भी मयस्सर नहीं हो पायी है। विकास का ढिंढोरा पीटने वाली केन्द्र व राज्य सरकार आज भी गरीबों को इंसाफ देने में असफल है।

इसका जीता जागता उदाहरण सूबे की उपराजधानी दुमका में ही मौजूद हैं। सदर प्रखंड दुमका के पारसिमला पंचायत अंतर्गत पालटोला की एक विधवा महिला पूर्णिमा पाल आज भी टूटी-फूटी व जर्जर झोंपड़ी में रहने को विवश है। लाचार विधवा महिला पूर्णिमा बताती है कि जब बारिश होती है तो सभी जगह पानी रिसने लगता है। वह और उसकी बेटी घर में नहीं रह पाते हैं ना खाना बना पाते हैं।

बताया कि पति की मौत पांच वर्ष पूर्व हो गई थी। उसे इस जर्जर घर में रहने में डर लगता है। अपना दर्द बयां करते हुए छलकती आंखों से उसने बताया कि पीएम आवास के लिए पंचायत मुख्यालय का चक्कर काटकर थक चूकी हूं। इस गरीब विधवा की कोई सुनने वाला नहीं। उसने बताया कि बीते वर्ष राजनीति दल का एक कार्यकर्ता दो बार घर का फोटो लेकर गया और बोला घर पीएम आवास दिला देंगे, लेकिन आज तक नहीं मिला। जानकारी के अनुसार गरीब पूर्णिमा दूसरे के घर में मेहनत मजदूरी कर अपना भरण पोषण करती है। उसकी एक बेटी है जो मध्य विद्यालय पारसिमला में पढ़ाई करती है।

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