जवाहर नवोदय विद्यालय, तेनुघाट में चल रहे पांच दिवसीय चलचित्र, रंगमंच, मीडिया और सृजनात्मक साहित्य कार्यशाला का हुआ समापन समारोह

जवाहर नवोदय विद्यालय, तेनुघाट में चल रहे पांच दिवसीय चलचित्र, रंगमंच, मीडिया और सृजनात्मक साहित्य कार्यशाला का हुआ समापन समारोह

तेनुघाट : पीएम श्री स्कूल जवाहर नवोदय विद्यालय, तेनुघाट बोकारो में चल रहे पांच दिवसीय चलचित्र, रंगमंच, मीडिया और सृजनात्मक साहित्य कार्यशाला का समापन समारोह संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर प्राचार्य विपिन कुमार, उप प्राचार्य, गिन्नी कुमारी, विजय यादव, संजीव कुमार, सुभाष कटरियार और मुकेश कुमार ने किया । इस अवसर पर पांच दिन में बच्चों ने जो सीखा उसे बच्चों ने मंच पर प्रदर्शित किया । बच्चों के द्वारा युवा साहित्यकार डॉ विजय यादव द्वारा लिखी कविता – नाटकेतर साहित्य का मंचन हुआ । यूं तो नाटकेतर साहित्य विधा पर कम लोग कार्य करते हैं लेकिन जवाहर नवोदय विद्यालय के बच्चों के साथ डॉ विजय यादव नाटकेतर विधाओं पर लगातार कार्य कर रहे हैं । उनका कहना है कि नवोदय के विद्यार्थियों में सीखने की जबरदस्त लगन होता है । उसमें भी तेनुघाट के बच्चों में गज़ब दृढ़ संकल्प दिखा । जो उन्होंने कहा वो कर दिखाया । अधूरी कहानियां में बच्चों के बीच गजब की संस्मरण करने की क्षमता दिखी जो कार्य महीनों में हो सकता है वो कार्य मात्र पाँच दिन में कर के दिखाया । नारी स्मिता में नारी विमर्श पर भरपूर चर्चा की गई । कविताओं के बोल के साथ संगीत की बोल चार चांद लगाया । प्रस्तुति में आगे बगीचे में हॉरर डर और कल्पनाओं का भरपूर प्रयोग बच्चों में दिखा । आगे पेट की आग बुझती नही दो नवोदयन की कहानी को कैसे बड़े ही सहज ढंग से निदेशक ने मंचन कराया कि लोग हँसते हँसते पेट पकड़ते दिखे । वही मेरी आवाज़ सुनो में आदिवासी अपनी समस्याओं को लोगों कर सामने रखा, विषय की गंभीरता को देखते हुए, उसमें सभी कलाकारों ने उनकी ज़िन्दगी से जुड़ी तमाम पहलुओं को मंच पर प्रस्तुत किया जो जीवंत दिखा । कुल मिलाकर सत्तर से अधिक बच्चों ने भाग लिया । वही अंतिम प्रस्तुति कौन जात जो भाई में देश मे व्याप्त जाति प्रथा, धर्म और राजनीति को मुख्य विषय बनाकर परोसा गया । जो अत्यंत सार्थक रहा । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विद्यालय के प्राचार्य विपिन कुमार ने कहा कि डॉ विजय यादव जो खुद नवोदयन होने के कारण बच्चों की योग्यता को समझते हुए वो शत प्रतिशत बच्चों को आत्मसात कराने में सफल होते है । उनका यह कार्यशाला अत्यंत प्रोफेशनल और मनोरंजन होता है जो हर कोई अपने यहां कराना चाहेगा । इस अवसर पर पत्रकार सुभाष कटरियार, संगीत शिक्षिका गिन्नी कुमारी और कार्यशाला प्रशिक्षक संजीव कुमार ने भी अपनी बात को रखा ।

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