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बता दें कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिकारीपाड़ा से गुरुवार को अनैतिक तरीके से बड़ी मात्रा में एक्सपायरी दवा को जलाने का मामला सामने आया है। दिन के 1:10 बजे सीएचसी शिकारीपाड़ा से अचानक बम फूटने जैसी आवाज आने लगी, जब परिसर पहुंचकर देखा गया तो वहां दवाइयां चल रही थी और उसी से विस्फोटक जैसी आवाजें निकल रही थी। यह घटना सीएचसी परिसर के अंदर हो रही थी बाहर नहीं। स्वास्थ्य कर्मी भंडार से दवाइयां लादकर आग में आहुति देने के लिए ले जा रहे थे, इस दौरान कितनी दवाइयां जलायी गई।
इसकी सटीक जानकारी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी भी नहीं दे पा रहे हैं। अनुमान लगाया जाता है कि 10 लाख से ऊपर की दवाइयां जलाई गई है। इसमें दवाइयों के साथ-साथ परिवार कल्याण के लिए उपयोग में लाने वाली सामग्रियां भी शामिल है। भंडारपाल के अनुसार यह सारी दवाइयां काफी पूर्व एक्सपायर कर गई है जिन्हें नष्ट कर देना था। इधर काफी देर से पहुंचे प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर देवानंद मिश्रा कहते हैं कि मैं जिला में हो रही बैठक में था,वही मुझे जानकारी मिली और इसे देखने के लिए यहां पहुंच गया।
उन्होंने बताया कि यह सारी दवाइयां 10 वर्ष पूर्व एक्सपायर कर गई हैं। जिन्हें भंडार में रखा गया था। मैंने इसकी जानकारी सिविल सर्जन दुमका को दे दी थी, उनके मौखिक आदेश पर सीएससी में पदस्थापित चिकित्सक एवं कर्मियों की एक टीम गठित कर इसे नष्ट करने का निर्णय लिया गया था। सारी दवाईयों को गढ्ढा खोदकर उसमें गाड़ना था जिसका आदेश मैंने अपने अधीनस्थ कर्मियों को दिया था| किसी भी स्थिति में आग लगाकर दवाइयों को जलाना नहीं था। आग असामाजिक तत्वों द्वारा लगा दी गई है ऐसा प्रतीत होता है।
मामले में असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर बच्चा प्रसाद सिंह से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि किसी भी परिस्थिति में दवाइयों को जलाना नहीं था जलाया गया है तो यह अपराध है। मुझे प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी शिकारीपाड़ा द्वारा जानकारी दी गई थी कि कुछ दवाइयां एक्सपायर हो गई है |मैंने कहा था कि जिला स्तर से एक टीम गठित कर दी जाएगी और उसके आदेश के बाद एक्सपायर दवाइयों को मिट्टी में गड़वा दिया जाएगा। दवाइयां जलाई क्यों जा रही थी इसकी जांच कराई जाएगी तथा दोषी के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर देवानंद मिश्रा के बयान पर गौर करें तो बहुत चौंकाने वाला तथ्य उजागर होता है।
उनकी माने तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिकारीपाड़ा की सुरक्षा को लेकर जिला प्रशासन द्वारा चार गृह रक्षकों (होमगार्ड) की तैनाती की गई है। 4 होमगार्डों की मौजूदगी में दिन के 1:00 बजे असामाजिक तत्वों द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में दवाइयों में आग लगाया जाना एक बहुत बड़ा प्रश्न खड़ा करता है जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिकारीपाड़ा की थाना से दूरी महज 500 मीटर की है।
अगर असामाजिक तत्वों द्वारा आग लगायी गयी तो केंद्र की सुरक्षा पर बहुत बड़ा प्रश्न खड़ा हो रहा है। अगर दवाइयां आज से 10 वर्ष पूर्व एक्सपायर हो गई थी तो भंडार में क्यों रखी गई थी किसके कस्टडी में रखी गई थी इसकी जांच हो तो बहुत बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है।