हरितालिका तीज व्रत 2023 में बन रहे हैं कई शुभ योग

teej hartalika vrat 2023

हरितालिका व्रत का संक्षिप्त परिचय :-

हरितालिका तीज व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों के अखंड सौभाग्य तथा कुमारी कन्याओं के भावी सुयोग्य पति के प्राप्ति का व्रत होता है. इस व्रत के दिन प्रातः काल से ही शुद्धता से रह कर संध्या समय में बालू अथवा मिट्टी का भगवान शिव, मां पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा बनाकर विधि विधान से पूजा करनी चाहिए. पूजन के बाद रात्रि में जागरण तथा नाच गान भी करना चाहिए. पूजा के समय विभिन्न प्रकार के फल और फूल भगवान शिव, मां पार्वती और गणेश जी को अर्पित करने चाहिए. पूजन के दूसरे दिन प्रतिमा विसर्जन के पहले बांस के बर्तन, कांसे के बर्तन या सोने – चांदी के बर्तन में भोज्य सामग्रियों का ब्राह्मण को दक्षिणा के साथ दान देने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए. ऐसा ही धर्म शास्त्रीय विधान है.

कब है हरितालिका तीज व्रत :-

  • इस वर्ष हरितालिका तीज व्रत 18 सितंबर 2023 सोमवार को है.

हरितालिका व्रत के दिन ग्रहो की स्थिति क्या है ?

  • इस दिन चंद्रमा चित्रा तथा स्वाति नक्षत्र में तुला राशि में रहेंगे.

किन शुभ योगों में होगी हरितालिका व्रत के दिन भगवान शिव माँ पार्वती और गणेश की पूजा ?

  • हरितालिका व्रत के दिन रवि योग, ऐंद्रु योग, अनफा और सुनफा योग भी बन रहा है.

माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 12 वर्षों तक अति कठोर तपस्या की थी. इस तपस्या के क्रम में उन्होने भी हरतालिका व्रत किया था. यह व्रत प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि और हस्त नक्षत्र के संयोग में मनाया जाता है. इस दिन कुंवारी कन्‍यााएं और सौभाग्यवती महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती तथा विनायक श्री गणेश की पूर्ण शुद्धता के साथ पूजा करती हैं. सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए इस व्रत का महत्व बहुत ही अधिक है. वही कुंवारी कन्याएं अपने भावी सुयोग्य पति की प्राप्ति हेतु यह व्रत करती है.

इस व्रत को सर्वाधिक कहां मनाया जाता है?

  • यह व्रत विशेष रूप से उत्तर प्रदेश बिहार और झारखंड में मनाया जाने वाला करवाचौथ से भी कठिन व्रत माना जाता है. करवाचौथ में चंद्रमा को देखने के बाद व्रत तोड़ दिया जाता है. जबकि इस व्रत में पूरे दिन निर्जल रहते हैं. पूजा के बाद भी इस व्रत में अन्न जल फल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है. अगले दिन ही व्रत को तोड़ कर पारण किया जाता है.

हरितालिका तीज व्रत का महत्व :-

  • ऐसी धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यता है कि हरतालिका व्रत करने से वैवाहिक जीवन में सुख और संतान की प्राप्ति होती है. ग्रंथों और पुराणों के अनुसार हरतालिका व्रत त्रेता युग से मनाया जा रहा है. इस दिन जो भी सौभाग्यवती निर्जला व्रत रखती है उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शास्त्रों में वर्णन है कि हरतालिका व्रत के दिन ही माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था.
  • भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हस्त नक्षत्र मे माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया था. और भोलेनाथ की पूजा की थी तथा स्तुति में लीन होकर रात्रि जागरण किया था. उन्होंने अन्न जल का त्याग कर दिया था. इस प्रकार से यह कठोर तपस्या 12 वर्षों तक चली. तब माता पार्वती के इस तरह के कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और इच्छानुसार उनको वरदान देकर उन्हें अपनी पत्नी के रूप में हर्ष के साथ स्वीकार किया था.

कब है हरितालिका व्रत और क्या है पंचांग में तृतीया तिथि की स्थिति ?

  • काशी के पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ 17 सितंबर 2023 रविवार को दिन में 9 बजकर 31 मिनट पर हो रहा है. तृतीया तिथि की समाप्ति 18 सितंबर 2023 सोमवार को दिन में 10 बजकर 27 मिनट पर हो रहा है. शास्त्रों के अनुसार तृतीया तिथि चतुर्थी से युक्त हो तो हरितालिका व्रत उत्तम होता है. इस वर्ष यह शुभ संयोग भी प्राप्त हो रहा है.

PANDIT MARKANDEY DUBEY

पंडित मार्कंडेय दूबे
बोकारो स्टील सिटी
झारखंड

Next Post

न्यू श्री श्याम म्यूजिकल के तीसरे नए प्रतिष्ठान का डंडीडीह में हुआ शुभारंभ

Sun Sep 17 , 2023
गिरिडीह: न्यू श्री श्याम म्यूजिकल […]

ताज़ा ख़बरें