मगरमच्छ के जबड़े से पति की जान बचाने चंबल नदी में कुदी एक महिला

मगरमच्छ के जबड़े से पति की जान बचाने चंबल नदी में कुदी एक महिला

नीले ड्रम वाले दौर में एक पत्नी ऐसी भी, मगरमच्छ के मुंह में फंसा था पति मौत से टकराकर बचाई जान,लोगों को दिलाई सती सावित्री की याद।

करौली-:राजस्थान के करौली जिले में चंबल नदी के किनारे बसे रोधई के कैमकच्छ गांव में एक पत्नी ने अपने पति की जान बचाने के लिए मौत से टकरा गई।

उत्तर प्रदेश के मेरठ हत्याकांड के बाद पूरे देश में नीले ड्रम और पत्नियों की चर्चा तेजी से बढ़ गई। पुलिस थानों में सिर्फ पत्नियों द्वारा नीले ड्रम की धमकी वाली FIR से फाइलें भर गईं हैं। पूरे प्रदेश में लगातार पत्नियों की धमकियों के बाद पतियों की एफआईआर दर्ज हो रही है। ऐसे दौर में भी राजस्थान के करौली जिले में एक पत्नी ने मौत के मुंह से अपनी जान पर खेलकर अपने पति को बचाया है और पूरे देश के लिए मिसाल दी है कि आज भी पत्नियां पतियों के लिए जान की बाजी लगाने से पीछे नहीं हटती हैं। वैसे तो भारतीय इतिहास में भी इस बात के कई उदाहरण हैं कि पत्नियों अपने जीते जी कभी भी पतियों पर किसी भी तरह की आंच नहीं आने देती हैं। ऐसे में सती सावित्री को कोई भला कैसे भूल सकता है।

राजस्थान के करौली जिले में चंबल नदी के किनारे बसे रोधई के कैमकच्छ गांव में एक पत्नी ने अपने पति की जान बचाने के लिए मौत से टकरा गई। दरअसल इस गांव में रहने वाले बन्ने सिंह चंबल नदी के किनारे अपनी बकरियां चरा रहे थे। कुछ देर बाद वो बकरियों को पानी पिलाने के लिए चंबल नदी के किनारे पर ले गए जहां पानी पिलाते समय बन्ने सिंह के पैर को एक मगरमच्छ ने अपने जबड़े में जकड़ लिया और उन्हें खींचकर पानी में ले जाने लगा। इसी दौरान बन्ने सिंह की पत्नी विमल बाई भी वहां पहुंची और पति की जान जोखिम में देखकर वो लाठी लेकर नदी में उतर गईं। जब उन्होंने देखा कि एक मगरमच्छ उनके पति की टांग को अपने जबड़े में दबाए उन्हें नदी में खींच कर ले जा रहा है तो विमल बाई ने पति की जान बचाने के लिए मगरमच्छ पर हमला बोल दिया। लाठी से हमले के दौरान एक वार मगरमच्छ की आंख पर जा लगा जिसकी वजह से उसका मुंह खुल गया और विमल अपने पति को लेकर नदी से बाहर निकल आई।

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