22 नवंबर को आईपीएस नौशाद आलम को ईडी का करना पड़ेगा सामना
रांची : 1000 करोड़ रुपये के अवैध खनन मामले में ईडी की जांच में साहिबगंज के एसपी नौशाद आलम को गवाह विजय हांसदा को ईडी का विरोधी बनाने में शामिल पाए जाने के बाद ईडी ने एसपी को शुक्रवार को समन भेजा है। एसपी को अब 22 नवंबर को ईडी के रांची जोनल ऑफिस में हाजिर होने को कहा गया है।
दरअसल, ईडी का महत्वपूर्ण गवाह विजय हांसदा पिछली सुनवाई में कोर्ट में अपने पूर्व के बयान से मुकर गया था। विजय हांसदा बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक गवाही देने कोर्ट आ पहुंच गया था, जबकि ईडी ने उसको गवाही के लिए समन ही नहीं किया था. मामले की सुनवाई ईडी के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत में चल रही है। हालांकि विजय हांसदा की गवाही भी पूरी नहीं हो सकी थी। इससे पूर्व मामले में दो की गवाही दर्ज की जा चुकी है। इस मामले में नौशाद आलम पहले आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्हें अब ईडी का सामना करना पड़ेगा।
गवाही के दौरान आखिर विजय हांसदा ने पलटी क्यों मारी?
बताया गया कि विजय हांसदा बचाव पक्ष के कहने पर गवाही देने कोर्ट पहुंचा था, जबकि ईडी ने गवाही कराने के लिए राजमहल के सब-रजिस्ट्रार को बुला रखा था। सब-रजिस्ट्रार गवाही बॉक्स में चढ़ते, उससे पहले ही अचानक विजय हांसदा गवाही देने आ गया। कोर्ट के निर्देश पर हांसदा की गवाही शुरू हुई। इसके कारण ईडी के अधिवक्ता की परेशानी बढ़ गई। क्योंकि ईडी ने गवाह सब-रजिस्ट्रार को तैयार कर रखा था। गवाही के दौरान विजय हांसदा ने पलटी मार दी, जिसके आधार पर ईडी ने केस दर्ज किया है। वह अदालत में गवाही के दौरान अपने बयान से मुकर गया. इसके बाद सब-रजिस्ट्रार को लौटना पड़ा था. इस पूरे प्रकरण में साहिबगंज के एसपी की संदिग्ध भूमिका की जांच जरूरी है, इसलिए ईडी के समक्ष उन्हें अपनी दलील पेश करनी होगी।
विजय हांसदा ईडी का महत्वपूर्ण गवाह है :
1000 करोड़ रुपये के अवैध खनन मामले में पंकज मिश्रा के साथ ही प्रेम प्रकाश, बच्चू यादव, पशुपति यादव व कृष्णा साहा ट्रायल फेस कर रहे हैं। पंकज मिश्रा गत 19 जुलाई 2022 से जेल में बंद है। इसी मामले में विजय हांसदा ईडी का महत्वपूर्ण गवाह है। विजय हांसदा ने ही साल 2022 में नींबू पहाड़ी पर अवैध खनन की शिकायत की थी। कोर्ट में शिकायतवाद में उसने बरहेट विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा समेत अन्य लोगों के खिलाफ शिकायत की थी। मामले में दिसंबर 2022 में केस दर्ज किया था। वहीं आर्म्स एक्ट के एक केस में जेल जाने के बाद विजय हांसदा ने अवैध खनन की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका डाली थी। हालांकि उसने बाद में याचिका वापस लेने के लिए एक और याचिका डाल दी थी। वहीं ईडी के ही दो गवाहों के खिलाफ उसने नामजद प्राथमिकी दर्ज करा दी थी। इसी केस में 164 के तहत बयान में ईडी के अधिकारी पर भी जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का आरोप विजय हांसदा ने लगाया था।