राज्य अल्पसंख्यक आयोग में भाषाई एवं धार्मिक अल्पसंख्यक को किया गया हैं शामिल

झारखंड बांग्ला भाषा समिति ने राज्यपाल से की राज्य अल्पसंख्यक आयोग में भाषाई अल्पसंख्यक को शामिल करने की मांग

राज्य अल्पसंख्यक आयोग में भाषाई एवं धार्मिक अल्पसंख्यक को किया गया हैं शामिल

दुमका (गौतम चटर्जी की रिपोर्ट) : झारखंड बांग्ला भाषा समिति के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने गुरुबार को राज्यपाल से मिलकर राज्य अल्पसंख्यक आयोग में बांग्ला भाषाई अल्पसंख्यक को उपाध्यक्ष के रूप में चयन करने की मांग की हैं।राज्य सरकार के अनुसूचित जन जाति,अनुसूचित जाति,अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा बर्ग कल्याण विभाग की ओर से ग्यारह सदस्यीय कमीशन का गठन कर उस समिति में इस्लाम धर्म से अध्यक्ष,उपाध्यक्ष एवं छह सदस्यों का चयन किया गया हैं,तीन अन्य सदस्यों का भी धर्म के आधार पर चयन किया गया हैं।

वोट बैंक की राजनीति कर राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने भाषाई अल्पसंख्यक प्रतिनिधि को अध्यक्ष,उपाध्यक्ष तो दूर सदस्य भी नहीं बनाया हैं।जो झारखंड विषयक समिति के संकल्प का घोर उलंघन हैं।समिति के अध्यक्ष रंजीत मल्लिक,संदीप राय,एन सी मल्लिक एवं डॉ एम रामाकृष्णन ने राज्यपाल को आवेदन देकर बताया हैं कि राज्य गठन के बाद यहां बिहार के तर्ज पर राज्य अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया गया हैं।बांग्ला एवं ओड़िया को भाषाई अल्पसंख्यक एवं इस्लाम सिख,जैन व ईसाई को धार्मिक अल्पसंख्यक की स्वीकृति दी गई हैं।

राज्य गठन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने यहां विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति निर्मल चटर्जी को आयोग का अध्यक्ष बनाया था।वर्तमान सरकार ने भाषाई अल्पसंख्यक को अयोग में शामिल न कर झारखंड विषयक समिति के संकल्प का उल्लंघन किया हैं|

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