पारंपरिक सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से बीर बाजाल संस्कृतिक अखाड़ा का उद्घाटन
दुमका ब्यूरो रिपोर्ट : आज शनिवार को नकटी दुमका में पारंपरिक सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने एवं क्षेत्र के युवाओं को अपनी संस्कृति और सांस्कृतिक विरासत की पहचान कराने के उद्देश्य से बीर बाजाल संस्कृतिक अखाड़ा का उद्घाटन किया गया|मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर सुशील कुमार मरांडी,विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला कला संस्कृति संघ के अध्यक्ष शिशिर कुमार घोष,कोषाध्यक्ष डॉ मधुर कुमार सिंह,मुखिया सुशांति हांसदा,ग्राम प्रधान प्रतिनिधि सुभाष बेसरा एवं संथाली लोक गायिका बबीता मुर्मू ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया ।
इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत अखाड़ा के संचालक इमानुएल सोरेन एवं उनके कलाकार समूह ने पुष्प गुच्छ एवं पारंपरिक पगड़ी बांधकर किया। अवसर पर गायन वादन नृत्य जैसी विधाओं से परिपूर्ण महिलाओं एवं पुरुषों ने शादी विवाह एवं अन्य पारंपरिक अवसरों पर किए जाने वाले संगीत गायन वादन का प्रदर्शन किया ।वक्ताओं ने अपने-अपने वक्तव्य में संथाल परवाना जैसे पारंपरिक परिवेश में सांस्कृतिक विरासत को बचाएं रखने के लिए किए गए प्रयासों का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया एवं संस्थान को आगे बढ़ाने में अपना-अपना सहयोग देने की बात कही|वक्ताओं ने कहा कि संस्कृति में कलाकारों का महत्वपूर्ण योगदान होता है कलाकार संस्कृति का पोषण करते हैं और संस्कृति कलाकारों का पोषण करता है|जिस समाज की संस्कृति जितनी शुद्ध होती है वह समाज उतना मजबूत होता है|
कई ऐसे अवसर होते हैं जिसमें पारंपरिक नृत्य संगीत गायन वादन का समावेश आदिवासी संस्कृति के पावन पर्व में होता रहा है, लेकिन विकास की वर्तमान परिकल्पना में युवाओं का भटकाव पश्चिमी संस्कृति की ओर बढ़ा है` विकास की दृष्टि से यह एक अच्छी बात है लेकिन संस्कृति को संरक्षित करने की दृष्टि से युवाओं का पारंपरिक संस्कृत क्षेत्र में कम रुझान होना काफी दुख का विषय है,जिसके महत्व को समझते हुए सेवानिवृत शिक्षक इमानुएल सोरेन,लोक गायिकी बबीता मुर्मू,पारंपरिक संस्कृति संरक्षक डॉ मधुर कुमार सिंह ने पारंपरिक संस्कृति को संजोए रखने के लिए विभिन्न आयामों में अपने-अपने प्रयासों का जिक्र किया और ऐसी ऐसी संस्थाओं का बढ़ चढ़कर क्षेत्र के
युवाओं को संस्कृति से जोड़ने का कार्य करना अपना लक्ष्य बनाया| निश्चित रूप से परंपरागत व्यवस्था का मजबूत होना हमारे शब्द समाज के लिए एक सपना साकार करने जैसा होगा|इस अवसर पर गोटा भारत सिद्धू कानू हूल वैसी से सनातन मुर्मू और सीरियल हांसदा ने संस्थान को सांस्कृतिक पहचान दिलाने के लिए अपनी बातें रखी| होली फेध स्कूल हेड कोरिया से समीम हांसदा ने अपने स्कूल के बच्चों को आदिवासी पारंपरिक संगीत के विषय में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए अखाड़ा में नामांकन करने का विचार रखा|कार्यक्रम के आयोजन में प्रीति सोरेन,मार्केट गुड्ड सूर्यमणि मुर्मू सेवानिव श्रील सोरेन सनातन सोरेन ओपन कुड़ी हेंब्रम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई|