कागज में तो है पर हकीकत में जमीन पर नहीं मिली है ग्रामीणों को बिजली

दुमका जिले के काठीकुंड प्रखंड स्थित आदिवासी बाहुल्य गांव खिलौड़ी के चुनेरभुज और बांसकोदरी टोला के ग्रामीण आज भी ढिबरी युग में जीने को विवश। नमस्कार, एसएनएस 24 न्यूज़ में आपका स्वागत है। हम खबर की शुरुआत करें, इससे पहले आग्रह है कि इस चैनल को लाइक, सब्सक्राइब और शेयर जरूर करें जिससे लेटेस्ट खबरें आपको मिल सके। आज हम बात कर रहे हैं, दुमका जिले के काठीकुंड की जहां आजादी के सात दशक व राज्य गठन के दो दशक से अधिक बीतने के बावजूद आदिवासी बाहुल्य गांव में नहीं पहुंची बुनियादी सुविधाएं।

बता दें कि राज्य गठन के दो दशक से ज्यादा बीतने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच पायी है। दुमका जिले के काठीकुंड प्रखंड के बड़तल्ला पंचायत अन्तर्गत आदिवासी बाहुल्य गांव खिलौड़ी के चुनेरभुज और बांसकोदरी टोला के ग्रामीण आज भी ढिबरी युग में जीने को विवश हैं। आज तक इन दोनों टोला में बिजली नहीं पहुंच पाई। ग्रामीणों ने बताया कि मामले में जनता दरबार, बीडीओ, बिजली विभाग एवं जनप्रतिनिधि सभी से यहां के आदिवासी ग्रामीण गुहार लगाते-लगाते थक गये लेकिन दोनों टोला में बिजली नही पहुची। उल्लेखनीय है कि देश आजादी का 76 वां वर्षगांठ मनाने वाला है।

वहीं झारखण्ड राज्य आदिवासी बाहुल्य गांव खिलौड़ी के चुनेरभुज और बांसकोदरी टोला अब तक अंधेरे में है। आजादी के 76 वर्ष होने के बाद भी इन दोनों टोला में आदिवासियों को बिजली नसीब नहीं हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि एक ओर झारखण्ड सरकार और प्रशासन विश्व आदिवासी दिवस पर जश्न मना रही है, वहीं आदिवासी बाहुल्य गांव खिलौड़ी के चुनेरभुज और बांसकोदरी टोला मुलभुत सुविधाओ से वंचित है। बिजली के लिए ग्रामीणों ने सभी जगह दस्तक दी, लेकिन किसी ने भी पहल नहीं की।ग्रामीणों का कहना है जनप्रतिनिधि से लेकर बिजली विभाग, बीडीओ और जनता दरबार में आवेदन देते देते थक गये, लेकिन अबतक इन दोनों टोला में बिजली नहीं पहुंची। ग्रामीण कहते हैं कि बिजली विभाग दुमका में आवेदन देने पर विभाग कहता है कि कागज में आपके पुरे गांव में बिजली है। इस पर ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि विभाग गांव आकर जांच कर ले, बिजली है कि नहीं।

इन दोनों टोला में अबतक न बिजली का पोल गाड़ा गया, न ट्रांसफार्मर लगाया गया है। न ही बिजली का तार लगाया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि बिजली नहीं होने के कारण भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बच्चों को शाम में पढ़ने में दिक्कत होती है। जंगली इलाका होने के कारण अंधेरे में साफ-बिच्छु का डर बना रहता है। बिजली नहीं होने के कारण मोबाइल भी चार्ज करना बहुत मुश्किल हो जाता है। मोबाइल दूसरे गांव जाकर या सोलर से चार्ज करना पड़ता है। आदिवासी बच्चे बहुत मुश्किल से सोलर से बैटरी चार्ज कर एलईडी लाइट जला कर पढ़ते हैं।लाइट प्रयाप्त नहीं होने के कारण बच्चो के आँखों में प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

आवेदन के साथ मिडिया/अख़बार में खबर छपने के बाद भी बिजली विभाग की उदासीनता के कारण दोनों टोला में बिजली नही आने से ग्रामीण काफी नाराज है। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री, प्रशासन और जनप्रतिनिधियो से मांग की है कि जल्द से जल्द दोनों टोला में विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाय नहीं तो हम सभी ग्रामीण सड़क पर उतरकर आन्दोलन करने के लिए बाध्य होगें। इस मौके पर सोनेलाल देहरी, परमेश्वर देहरी, युधिष्टिर देहरी, बुधन देहरी, बसु देहरी, देसाई देहरी, सीमा देवी, संगीता देवी, फुलमनी महारानी, लखन कुमार देहरी, रासमुनि रानी, लक्ष्मी रानी, बुधनी महारानी, फुलमनी महारानी, संगीता देवी, अक्लो देहरी, लखन कुमार देहरी के साथ काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

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