कृष्णा राईका जी नहीं रहे – श्रद्धांजलि

विश्वास नहीं होता !
फुसरो बाजार के प्रतिष्ठित व्यवसाई,
हरदिलअजीज
हमारे परम मित्र,
मेरे बड़े भाई कृष्णा राईका जी का आज देहांत हो गया है।
पूरे बाजार में उनके जैसा
सरल, सहृदय, सहज व्यक्तित्व
ढूंढना मुश्किल है।
हर किसी की मदद सहायता के लिए खड़े रहते थे।
लिखते हुए दिल रो रहा है कि आज कृष्णा भैया हमारे बीच नहीं है।
विनम्र श्रद्धांजलि !
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि !!

कृष्ना राईका भैया,
बहोत कठिन है आपको भूल पाना …
आप सिर्फ एक शख्शियत नहीं,
एक पूरी जिंदा किताब थे,
एक आदमी नहीं, पूरी कायनात थे।
विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
ऊपर वाले को भी अच्छे लोगों की ही दरकार होती है शायद !

-: नीरज बरनवाल

ओ, जानेवाले, हो सके तो लौट के आना
ओ, जानेवाले, हो सके तो लौट के आना
ये घाट, तू ये बाट कहीं भूल ना जाना
जानेवाले, हो सके तो लौट के आना

बचपन के तेरे मीत, तेरे संग के सहारे
बचपन के तेरे मीत, तेरे संग के सहारे
ढूँढेंगे तुझे गली-गली सब ये ग़म के मारे
पूछेगी हर निगाह कल तेरा ठिकाना
जानेवाले, हो सके तो लौट के आना

दे-दे के ये आवाज़ कोई हर घड़ी बुलाए
दे-दे के ये आवाज़ कोई हर घड़ी बुलाए
फिर जाए जो उस पार, कभी लौट के ना आए
है भेद ये कैसा कोई कुछ तो बताना
जानेवाले, हो सके तो लौट के आना

ये घाट, तू ये बाट कहीं भूल ना जाना
जानेवाले, हो सके तो लौट के आ…

कृष्णा भैया के निधन पर
बिंदेश्वरी दुबे आवासीय महाविद्यालय, पिछरी के पूर्व प्रिंसिपल सर
रविंद्र कुमार सिंह जी के मार्मिक उद्गार :-

कृष्ण राईका को विनम्र श्रद्धांजलि!
कृष्णा राईका सचमुच बड़े ही विनम्र, मृदुल, सदाशय व्यक्तित्व के धनी, सहयोगी और उदार हृदय के व्यक्ति थे।
इनका असमय यूं चला जाना बहुत ही मर्माहत करने वाली दुखद घटना है, जिन्हें मैं करीब तीन दशक पूर्व से जानता हूं।
मेरे प्रिय शिष्य भी रहे हैं वे।
अपने अध्ययन काल से बहुत विनम्र आज्ञाकारी एवं सहिष्णु छात्र रहे हैं।
ग्राहक के रूप में भी मैं उनकी दुकान में जब-जब गया, उनकी विनम्रता का कायल रहा।
एक सफल व्यवसायी के रूप में वे हमेशा फुसरो में याद किये जाएंगे।
ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें
एवं
उनके परिवार को धैर्य प्रदान करें।
ओम् शांति ओम शांति ओम शांति…

राइका क्लाॅथ वाले?हाँ!
मेरे ऑफिस में, जब भी किन्हीं का रिटायरमेंट या ट्रांसफर का फेयरवेल होता था, मुझे साथ लेकर वस्त्र और शाॅल खरीदने मनोज जी इनके दुकान पर ही ले जाते थे। – सत्येन्द्र सिन्हा

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