बंदोबस्त कार्यालय दुमका में पदस्थापित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए मजाक बन गया है निदेशालय का आदेश
निदेशालय द्वारा जारी आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए मनोज कुमार मोहर्रिर के स्थानांतरण के बीस दिनों बाद भी नहीं किया गया उन्हें विरमित
विरमित करने के बजाय मनोज कुमार मोहर्रिर को पुरस्कृत करते हुए कर दिया गया मोहनपुर एवं देवघर शिविर में प्रतिनियुक्त
दुमका ब्यूरो रिपोर्ट: बंदोबस्त कार्यालय दुमका में पदस्थापित अधिकारियों व कर्मचारियों की मनमानी थमने की बजाय ओर बढ़ती जा रही है|अब तो इनके लिए राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग,भू अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय के आदेश का भी कोई महत्व नहीं है|बंदोबस्त पदाधिकारी सुनील कुमार ने निदेशालय द्वारा स्थानांतरित किए गए मोहर्रिर मनोज कुमार को अंतिम प्रकाशन शिविर न्यायालय मोहनपुर एवं देवघर में प्रतिनियुक्त कर दिया|बताते हुए बताते चलें कि संबंधित निदेशालय द्वारा ज्ञापांक (निदे०अभि०)क्षे०स्था- 14/2013-376/नि०रा० रांची दिनांक 12-09-23 के द्वारा बंदोबस्त कार्यालय दुमका में पदस्थापित मोहर्रिर मनोज कुमार का स्थानांतरण बंदोबस्त कार्यालय पलामू में किया गया है|जारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इनके अभ्यावेदन पर इनका स्थानांतरण पलामू किया गया है एवं इनको माह अक्टूबर 2023 का वेतन पदस्थापित कार्यालय से देय होगा|
बंदोबस्त पदाधिकारी सुनील कुमार ने मोहर्रिर मनोज कुमार को विरमित करने के बजाय अंतिम प्रकाशन शिविर मोहनपुर एवं देवघर का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया|मामले में बकायदा कार्यालय आदेश भी जारी कर दिया गया है जो चर्चा का बिषय बन गया है|मामले में जारी आदेश,कार्यालय बंदोबस्त पदाधिकारी संथाल परगना दुमका के ज्ञापांक 681 II दिनांक 4-10-23 द्वारा मनोज कुमार मोहर्रिर को अपने कार्यों के अलावा अंतिम प्रकाशन शिविर न्यायालय मोहनपुर एवं देवघर का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है|कार्यालय आदेश में स्पष्ट रूप से लिखा है कि मनोज कुमार मोहर्रिर को अपने कार्यों के अलावा अंतिम प्रकाशन शिविर मोहनपुर एवं देवघर में प्रतिनियुक्त किया जाता है,वें अविलंब स्थानांतरित शिविर में योगदान कर कार्य करना सुनिश्चित करें|बताते चलें कि उक्त आदेश पत्र में कुल आठ कर्मचारियों का स्थानांतरण विभिन्न शिविरों में किया गया है|यहां बताते चलें कि इससे पहले इसी तरह के मामले में निदेशालय के आदेश के चौबीस घंटे के भीतर संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को विरमित कर दिया गया, परन्तु इस मामले में दोहरी नीति अपनाई जा रही है|
सवाल है कि आखिर ऐसा किया क्यों जा रहा है,जब निदेशालय का आदेश आए तकरीबन बीस से पच्चीस दिन हो गए फिर मोहर्रिर मनोज कुमार को विरमित करने की बजाय पुरस्कृत क्यों किया जा रहा है|वरीय अधिकारियों के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए निदेशालय के आदेश को नजर अंदाज करते हुए स्थानीय स्तर से मनोज कुमार का स्थानांतरण कैसे किया जा सकता है|उल्लेखनीय है कि मामले में बंदोबस्त कार्यालय दुमका के प्रधान पेशकार से कार्यालय का पक्ष लेने हेतु दूरभाष एवं व्हाट्स एप पर संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नही दिया|