एट्रोसिटी एक्ट का दुरुपयोग होने से रोकें : वी के यादव

दलित-आदिवासी समाज के लिए सुरक्षा कवच है एट्रोसिटी एक्ट, भीम आर्मी के साथी इस एक्ट का दुरुपयोग होने से रोकें- वी के यादव

दुमका : भीम आर्मी (भारत एकता मिशन) के प्रदेश उपाध्यक्ष विकास कुमार यादव उर्फ वी के यादव ने कहा कि हजारों वर्ष पूर्व से ही सामंतवादी-मनुवादी विचारधारा से प्रेरित लोगों ने इस देश के मूल निवासी दलित-आदिवासी समाज को अछूत मान कर हमेशा से ही उनके साथ अन्याय,जुल्म व अत्याचार किया है|इस समाज के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक किया गया है|इनके शोषण व दमन का शिकार भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ भीम राव अंबेडकर जी भी रहे थे|

यही वजह है कि इस समाज को उन सामंतवादियों- मनुवादियों के आतंक से निजात दिलाने के लिए बाबा साहब ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम (एट्रोसिटी एक्ट)बनाकर संविधान में समाहित किया है|जिसे दलित-आदिवासी समाज के लिए सुरक्षा कवच के रूप में भी माना जा सकता है।वीं के यादव ने दलित-आदिवासी समाज से अपील की है कि गंभीर परिस्थिति में ही इस अस्त्र का सदुपयोग करें।इस अधिनियम की गरिमा को बरकरार रखने की जिम्मेदारी दलित -आदिवासी के ऊपर निर्भर है । आमतौर पर यही देखा जा रहा है कि किसी गांव में जहां बहुजन समाज के लोग एक साथ रहते हैं और छोटी- छोटी बातों को लेकर कुछ कहासुनी हो जाती है अथवा जमीन संबंधी विवाद हो जाता है तो दलित समाज के साथी तुरन्त एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कराने थाना पहुंच जाते हैं,जो कहीं न कहीं गलत है और मेरे विचार से आप एट्रोसिटी एक्ट की विश्वसनीयता को कम कर रहे हैं।

जिसका खामियाजा बहुजन समाज को नेतृत्व देने वाले राजनीतिक दल बसपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी को उठाना पड़ा है|मान्यवर कांशीराम साहब ने कहा था कि नायक वही होता है जो हमेशा दुश्मनों से लड़ता हैं और नालायक हमेशा अपनों से ही लड़ते हैं,इसलिए छोटे छोटे मामलों का निपटारा समाज में ही मिल- बैठकर ग्राम- पंचायत स्तर से कराएं,चूंकि पंचायती राज व्यवस्था भी यहां लागू है।ग्राम पंचायत का फ़ैसला सर्वमान्य है,जिसे सुप्रीम कोर्ट भी मान्यता देती है|रूपये पैसे के लालच में आकर थाना में केस दर्ज न करें,इससे समाज में आपकी मान्यताएं घटेगी,क्योंकि व्यक्ति अपने जन्मों से नहीं बल्कि कर्मों से महान कहलाता है,जैसे कि बाबा साहब डॉ अंबेडकर।

यादव ने भीम आर्मी के तमाम साथियों से अपील की है कि कल तक हम एक सामाजिक संगठन में काम कर रहे थे लेकिन अब हमारी राजनीतिक पार्टी “आजाद समाज पार्टी”का गठन हो चुका है,अतः हमें अपने पार्टी की मजबूती के लिए बहुजन समाज के अंदर आने वाले बैकवर्ड,दलित, आदिवासी,माइनॉरिटी के हक अधिकार,मान- सम्मान,स्वाभिमान तथा समतामूलक समाज की स्थापना के लिए संघर्ष करना है। ऐसे में आप यदि चाहते हैं कि झामुमो,राजद या अन्य क्षेत्रीय पार्टी की भांति “आजाद समाज पार्टी” भी देश व राज्यों के शासन सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित करें तो इसके लिए हम सबों को एक साथ पिरोकर चलना चाहते हैं तथा आर एस एस (भाजपा) के विचारधारा के विरुद्ध मिलकर लड़ना चाहते हैं और यकीनन हम होंगे कामयाब एक दिन,मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास, हम होंगे कामयाब एक दिन|

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