राधामाठ गांव के लोग स्वयं करते हैं जंगलों की रखवाली

जामताड़ा जिले का राधामाठ गांव जहां के लोग स्वयं करते हैं जंगलों की रखवाली | जंगल से लकड़ी काटना है सख्त मना,पकड़े जाने पर लगता है भारी जुर्माना,जंगल की सुरक्षा के कारण आज भी हरा भरा है जंगल |

SNS 24 News: फतेहपुर (जामताड़ा) से विपुल कुमार गोस्वामी की रिपोर्ट

जामताड़ा जिले में एक ऐसा गांव है जहां के लोग टीम बनाकर बारी-बारी से अपने क्षेत्र के जंगलों की रखवाली करते हैं। यह सिलसिला आज से नहीं बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी चल रहा है।इस गांव का नाम राधामाठ है जो फतेहपुर प्रखंड क्षेत्र में आता है।सात टोले में बंटा राधामाठ गांव वनों से ओतप्रोत है। इस गांव की खासियत यह है कि सभी गांव वाले महीने में एक बार मासिक बैठक करते हैं और जंगल की रक्षा और सुरक्षा पर चर्चा करते हैं ।इतना ही नहीं प्लाट के हिसाब से गांव के लोग अपनी अपनी पाली बांधकर जंगल की रखवाली करते हैं। सप्ताह के सातों दिन गांव के लोगों की पैनी नजर वनों की सुरक्षा पर लगी रहती है। लिहाजा यहां के वन सघन हो चुके हैं|

हालांकि लोग जंगल से जरूरत की चीजें मसलन जड़ी बूटी,दतवन,पत्ता आदि लेते हैं। लेकिन पेंड़ काटना सख्त मना है।यदि कोई व्यक्ति पेड़ काटता है तो पहले उसे बंधक बनाकर रखा जाता है फिर ग्रामीण आपस में बैठक कर जुर्माना लगाते हैं।गांव वालों की रखवाली का नतीजा है कि आज राधामाठ के जंगलों में अजगर से लेकर छोटे छोटे जीव जंतुओ की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं।इस जंगल में दुर्लभ जड़ी बूटियों की भरमार है।

पाली के हिसाब से होता है रखवाली – राधामाठ गांव का वह वन क्षेत्र जिसका दाग नंबर 11, 12 और 8 है उसकी निगरानी की जिम्मेवारी महेंद्र पावरिया , सुनीति सोरेन और चौबीस कोल के ऊपर है। वही दाग नंबर 39, 37 और 23 की रखवाली प्रधान कोल, मनभरण राय और सुखेन बास्की करते हैं । दाग नंबर 40 , 26, 10 और 19 अविनाथ हेंब्रम, पांडू कोल , पशुपति राय और शिवदास कोल, दाग संख्या 44, 21 28 और 24 गोविंद हेंब्रम, गणेश राय, हीरालाल कोल और शिवनाथ राय , दाग संख्या 2, 38, 5 और 41 मंटू कोल ,कामदेव राय ,वीरू मिर्धा और दिलीप मुर्मू के जिम्में है। इसी तरह रामपद राय, महेश मरांडी और तारापद राय एक टीम तथा मिथुन राय, मोतीलाल कोल और हराधन राय दूसरी टीम बनाकर जंगल की निगरानी रखते हैं। जिसका जिस दिन पाली पड़ता उस दिन जंगल की रखवाली करने चला जाता है।

क्या कहते हैं ग्रामीण – ग्रामीण रामकृष्ण राय ने कहा कि बाप दादा लोग से देखते आ रहे हैं कि जंगल की रखवाली करते आ रहे हैं । इसलिए हमलोग भी पुर्वजो के विचारधारा को देखते हुए हमलोग भी जंगल की रखवाली करते आ रहे हैं । ताकि हमलोगों का जंगल नष्ट नही हो पाए।
कामदेव राय और रामपद राय बताते हैं कि हमलोग जमाबंदी के अनुसार राधामाठ 7 टोले में है। जिस दिन जिसका पाली पड़ता है उस दिन वे लोग जंगल की रखवाली करते है ।जंगल में किसी को भी पेड़ काटने नही दिया जाता है।अगर कोई जंगल में पेड़ काटने कि कोशिश करता तो ग्रामीणों द्वारा जुर्माना लगाया जाता है ‌। ग्रामीण मिठुन राय और धर्मदेव राय ने बताया कि निगरानी के कारण आज हमलोगो का जंगल बहुत हरा भरा ओर घना है । जंगल में अभी भी बहुत तरह के रंग बिरंगे पशु पक्षी तथा जीव जन्तु, अजगर भी देखने को मिलता है । सबसे बड़ी बात है जंगल में दुर्लभ और लाभदायक जड़ी बुटी भी मिलती है जो कि बहुत तरह के बिमारी मे काम आते है।

अन्य जंगलों में अवैध पातन जोरों पर -फतेहपुर और कुंडहित वन क्षेत्र के अधीन जंगलों में आए दिन लकड़ी तस्कर चोरी छुपे पेड़ों को काटकर पश्चिम बंगाल खपा रहे हैं। इतना ही नहीं ये माफिया क्षेत्र के गांवों के जमाबंदी में भी महुआ ,साल, शीशम, सागवान आदि पेड़ों को ग्रामीणों को लालच देकर खरीदने हैं और चीर फाड़ कर बाहर भेजते हैं। क्षेत्र के ही दोमहानी वन में बीते दिनों एक लकड़ी माफिया द्वारा साल का पेड़ काटा गया था जहां वन विभाग की टीम ने लकड़ी को तो जप्त किया लेकिन तस्कर फरार हो गया था। इसी तरह दोमहानी गांव के अलावे फूलशहरी गांव में भी लकड़ी माफिया क्षेत्र के पेड़ों को काटकर गांव में ही चिराई कर अन्यत्र सप्लाई कर रहे हैं ।इस तरह देखा जाए तो जहां धीरे-धीरे वन क्षेत्र कम होता जा रहा है ।गांव घरों में पेड़ों की संख्या कम होती जा रही है। वहीं राधा माठ गांव के लोग जिस तरह जंगल बचाए हुए हैं वह काबिले तारीफ है।

बहरहाल जिस तरह अपने पुरखों के देखने के बाद पीढ़ी दर पीढ़ी राधामाठ के गांव वाले जंगलों की रखवाली कर रहे हैं निगरानी कर रहे हैं ।यह जंगलों के सामने रहने वाले अन्य गांव के लोगों के लिए बेहद ही प्रेरणा के लायक है अनुकरणीय है।

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