ईश्वर का महान प्रसाद है मानव जीवन – संत प्रवर श्री विज्ञान देव

ईश्वर का महान प्रसाद है मानव जीवन। ईश्वर का रहस्य मानव में निहित है। हम जीवन कहें या सत्य कहें बात एक है। जीवन को ठीक-ठीक जान लिया, इसका अर्थ है हमने परमसत्य का साक्षात कर लिया, क्योंकि जीवन का आधार परमात्मा है, जो आनन्द स्वरूप है।

उक्त उद्गार स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक सुपूज्य संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने संकल्प यात्रा के क्रम में ऑफिसर क्लब ढोरी में आयोजित जय स्वर्वेद कथा एवं ध्यान साधना सत्र में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं के मध्य व्यक्त किये।

महाराज जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति अत्यंत समृद्ध है जिसने विरासत के रूप में आध्यात्मिकता को मानव कल्याण के लिए सहज रूप में प्रदान किया है। जो धर्म से लेकर मोक्ष की यात्रा कराती है। जो विश्व की आदि संस्कृति, विश्ववारा संस्कृति है। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की चतुःसूत्री ही भारतीय संस्कृति का आधार है।

महाराज जी ने कहा कि जहां प्रेम है वहीं परमात्मा का प्रकाश है। जहाँ श्रद्धा है, जहां समर्पण है, जहां सेवक का भाव है वहीं आत्मा का कल्याण है। भीतर की अनंत शक्ति का सच्चा ज्ञान स्वयं को जानने से होता है। आंतरिक शांति के अभाव से ही आज विश्व मे अशांति है।

संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को विहंगम योग के क्रियात्मक योग साधना को सिखाया। कहा कि विहंगम योग का ध्यान आंतरिक शांति का मार्ग प्रशस्त करता है। बताया कि ब्रह्मांड की ध्वनि है ॐ। जो सर्वत्र गुंजायमान है। ये ध्वनि हमारे मन मस्तिष्क को प्रकाशित कर रही है। हम सबको प्रतिदिन ईश्वर के पवित्र वाचक नाम का उच्चारण करना चाहिए

दिव्यवाणी के दौरान श्रद्धालुओं को संदेश दिया कि विहंगम योग के प्रणेता अमर हिमालय योगी अनन्त श्री सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज ने अपनी गहन साधना द्वारा ईश्वर से योग की प्राप्ति की एवं इस अतिदुर्लभ विज्ञान को स्वर्वेद नामक अद्वितीय आध्यात्मिक सद्ग्रंथ द्वारा जनमानस को सुलभ कर दिया। स्वर्वेद हमारी आध्यात्मिक यात्रा को सदैव जागृत रखता है।

संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज की दिव्यवाणी जय स्वर्वेद कथा के रूप में लगभग 2 घंटे तक प्रवाहित हुई । स्वर्वेद के दोहों की संगीतमय प्रस्तुति से सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे।

आयोजकों ने बताया कि विहंगम योग सन्त समाज के शताब्दी समारम्भ महोत्सव एवं 25000 कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के निमित्त संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज की संकल्प यात्रा का शुभारंभ विगत 17 जुलाई से हीं कश्मीर की धरती से हो चुका है। संकल्प यात्रा कश्मीर , जम्मू, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड , उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल , बिहार के बार झारखंड के गढ़वा , मेदिनीनगर, लातेहार , रांची , जमशेदपुर , बोकारो स्टील सिटी, धनबाद, देवघर होते हुए बेरमो में पहुँच चुकी है।

आगामी 17 एवं 18दिसंबर, 2023 को विशालतम ध्यान – साधना केंद्र (मेडिटेशन सेंटर) स्वर्वेद महामंदिर, वाराणसी के पावन परिसर में 25000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होना है। उसी क्रम में यह संकल्प यात्रा हो रही है जिससे अधिक से अधिक लोगों को पूरे भारत वर्ष में लाभ मिले।

इस शताब्दी समारम्भ महोत्सव में विहंगम योग के प्रणेता अनंत श्री सदगुरू सदाफल देव जी महाराज की 135 फिट से भी ऊंची प्रतिमा (Statue of Spirituality) का भी शिलान्यास होगा।

इस अवसर पर राष्ट्रीय सन्त किशन शर्मा जी, सुखनंदन सिंह सदय, लंबोदर महतो, राधाकृष्ण सिन्हा, सुरेंद्र सिंह, उदय प्रताप सिंह,कमलेश श्रीवास्तव, संजय पंडा, नागेंद्र मेहता, नीलकंठ रविदास, आंनद केसरी, के पी सिंह, सुरेश बंसल आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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