अक्षय नवमी को लोग आंवला नवमी के नाम से भी जानते हैं

तेनुघाट : अक्षय नवमी के अवसर पर रविवार 10 नवंबर को महिलाओं ने आंवला वृक्ष की पूजा अर्चना की। इस अवसर पर पुजारी राजीव कुमार पांडेय ने बताया कि अक्षय नवमी को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस शुभ दिन पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपने कर्तव्यों को पुरा करने के लिए वृंदावन से मथुरा की यात्रा की थी। उन्होंने कहा कि पौराणिक कथाओं के अनुसार यही वह दिन था जब सत् युग की शुरुआत हुई थी। अपने सुख-सौभाग्य की कामना को मन में ध्यान में रखते हुए आंवले के पेड़ के तने में 9 या फिर 108 बार परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत या मोली लपेटा जाता है।

कहा कि आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है। संतान सुख के तौर पर आंवले के वृक्ष का दान करने से पुत्र की कामना पूरी होती है। रोगों से रक्षा होती है और व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ मिलता है। इसे दान करने से व्यक्ति को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। आगे पुजारी राजीव कुमार पाण्डेय ने कहा कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवला का पेड़ भगवान विष्णु को प्रिय है, क्योंकि इसमें लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए इसकी पूजा करने से सर्व मनोकामना पूर्ण होती है। इस दिन गुप्त दान करना शुभ माना जाता है।

कहा कि आंवले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पूजा करने के बाद आंवला वृक्ष के नीचे भोजन किया जाता है। यहां पूजा करने वाले श्रद्धालुओं में रेखा सिन्हा, चंद्रलेखा कटरियार, अमला कटरियार, अंजली कटरियार, सुजाता प्रसाद, शालिनी सिन्हा, ममता कटरियार, सुजाता प्रसाद, विभा सिन्हा, अनीता सिन्हा, जया विश्वनाथन, हेमा कटरियार, सुष्मिता कटरियार, तनुजा सिन्हा, अनुजा कटरियार, मुकुलिका कटरियार, अनु सिन्हा सहित अन्य कई महिलाओं ने अपने परिवार के साथ आंवला वृक्ष की पुजा अर्चना कर वृक्ष के नीचे बैठकर प्रसाद रूपी भोजन ग्रहण किया।

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